Personal Experience

Personal Experiences (Edited 11/20) of Mr. Ganesh from South India

36 months ago, I had a severe stroke. And was hospitalized for 8 days. From the day I returned home, my life has been a bed of roses.

What I did was simple: I had a strict Ayurveda diet and went for 2x45 minutes’ walk, hand exercises (after the initial therapy of 2 years, it is GITA that I write) and an easy to do yoga. 

Today after 36 months, I say …that Stroke is mind-body exercise and Western medicine would well advised to learn from Ayurveda/Yoga and life-style changes.

I who was a very negative person before and had a 360 degree turn; thanks to my Stroke.

We are interested in your personal experience with stroke and aphasia. Please share it with us by sending it to subhash.bhatnagar@mu.edu

Translation of “The Darkness of Stroke”

स्ट्रोक से छाया अंधेरा
(एक पत्नी के शब्दों में स्ट्रोक के अंधेरे-पहलुओं का वर्णन)

   हम ने इस जीवन में कभी भी नहीं चाहा था कि हमारे परिवार मे किसी को भी स्ट्रोक (रक्ताघात) हो और न ही कभी सोचा था कि हम अपना इतना समय स्ट्रोक से होने वाले शारीरिक विकारों और भाषाई समस्याओं से जूझने में लगायेंगे। लेकिन आठ- साल पहले एक क्षण में हमारी जिंदगी बदल गयी जब एक दिन मेरे पति को अचानक स्ट्रोक हुआ। मेरे पति की आयु 65-साल की थी और वे इस से पहले पूरी तरह स्वस्थ थे। इस आघात से मेरे पति पर बहुत गंभीर प्रभाव पड़ा और उनकी की बोलने, समझने, लिखने, और पढ़ने की क्षमता खत्म हो गयी। 

    अचानक जीवन में आये इन परिवर्तनों से हमें वहुत सदमा लगा। जब हम इस सदमे से बाहर आये तब हमें अपनी लाचारी का आभास हुआ। इस का कारण था कि हमें स्ट्रोक संबंधी समस्याओं के समाधान के बारे में कुछ नहीं मालूम था। जैसे कि अपनी ज़िन्दगी को अब कहाँ से शुरू करें? किस तरह जिंदगी को फिर से सामान्य बनायें? किस के पास सहायता के लिये जायें? और किन इलाजों से मेरे पति अपने काम अपने-आप करने के लायक हों सकेंगे? इस बेबसी में हमारी दुविधायें बढ़ती गयीं।

    मित्र और रिश्तेदार सहानभूति में अक्सर कहते हैं कि वे हमारा दुख और लाचारी समझ सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। इस दुख, निराशा, और बेबसी को वास्तव में सिर्फ वे ही समझ सकते हैं जिन के प्रियजनों को स्ट्रोक हुआ हो और जिन्हें इस से होने वाली शारीरिक, भाषाई, तथा रहन-सहन संबंधी समस्याओं के साथ दिन-रात जूझना पड़ता है।

    इन दुखों और समस्याओं के बावजूद, बहुत से अच्छे तथा परवाह करने वाले लोगों ने ऐसे समय में हमारा साथ दिया। उनके सहयोग से ही हम ज़िंदगी में आगे बढ़ सके।  अब जब हम बीते हुये सालों पर ध्यान दें तो हम उन सब लोगों के बहुत एहसानमन्द हैं, जिन्होंने साथ और सांत्वना देकर हमारा साहस बढ़ाया। कुछ ने हमे फोन किया, कुछ ने सहानभूति के कार्ड भेजे, कुछ हमसे मिलने हमारे घर आये, कुछ ने हमें बुलाया, और बहुत से लोगों ने हमारे लिये भगवान से प्रार्थना की। हम उन सब लोगों का दिल से धन्यवाद करते हैं।

    मेरे लिये मेरे पति एकबड़े हीरो हैं जो हर दिन मेहनत से पढ़ाई और अभ्यास करते हैं। उनमें बहुत उत्साह है। वे  खुशी-खुशी रोज अपने इलाज़ का ध्यान रखते हैं। भगवान की कृपा से मेरे पति को मिल रहे विभिन्न इलाज़ों से लगातार फ़ायदा हो रहा है।

जिंदगी में हर दिन एक नयी यात्रा के रूप में है और हम भगवान से इस यात्रा की सफलता के लिये प्रार्थना करते हैं।

 

 

News & Events

The Family Guide (Facts about Aphasia and Stroke) has been published in Bengali and is available on request from Ratna Sagar Publishers, New Delhi.

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